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मंगत कथन : डिग्रीधारी बाबाओं के होम डिलीवरी धार्मिक पैकेज से “घर बैठे गंगा..”
RNE Special.
मैंने सुबह अखबार खोला तो उसमें से एक इश्तिहार निकला। आजकल अखबारों में यही कुछ निकलता है। जिसको अपनी दुकान, स्कूल आदि की विशेषतायें बतलाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना हो अथवा कोई सामान बेचने अथवा खरीदने का विज्ञापन करना हो तो अखबार एजेंसी वालों को इश्तिहार छपवाकर दे देता है। एजेंसी वाले पैसे लेकर ये इश्तिहार अखबार में डालकर अखबार के साथ घर-घर में बाँट देते हैं। मुझे शहर में होने वाली काफी गतिविधियों का इन इश्तिहारों से मालूम पड़ जाता है। वैसे आजकल अखबार किसी की मृत्यु की सूचना, अन्तिम संस्कार या उठाला कार्यक्रम जानने के लिये ही पढ़े जाते हैं। खबरों के नाम पर चोरी, लूट-खसूट, बलात्कार आदि की घटनायें ही दिखलाई देती हैं।
वैसे प्रत्येक समाचार पत्र की प्रतिबद्धता किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से होती है और वे उसी का ढोल बजाते रहते हैं। सच्चाई की ओर झाँकने का उनके पास समय ही नहीं होता। यदि यह प्रतिबद्धता सत्ताधारी पार्टी के प्रति है तो उसमें सरकारी विज्ञापनों की झड़ी लगी रहती है। एक पार्टी का अखबार जो अपने द्वारा समर्थित पार्टी की छवि का निर्माण करता है तो दूसरी पार्टी द्वारा समर्थित अखबार उसके बारे में ऐसा कुछ प्रकाशित करता है कि पाठक कुछ भी नहीं समझ पाता। वह असमंजस में पड़ जाता है कि वह कौन से अखबार के समाचार को सच माने। जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के समय तो केवल एक ही गोयाबल्स था जिसने अफवाहों से तहलका मचा दिया था। अब तो प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया और विभिन्न चैनलों में गोयाबल्स ही गोयाबल्स भरे पड़े हैं। कोई दो-चार ईमानदार पत्रकार हैं तो उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती बनकर रह जाती है। खैर ! मेरा यह विषय नहीं है। बात अखबार से जुड़ी थी इसलिये चलते-चलते मैंने भी अपने ‘मन की बात’ कहकर बहती गंगा में हाथ धो लिये।
एक जमाने में समाचार-पत्र समाज के जागरूक प्रहरी थे। लोग उसमें लिखे का विश्वास करते थे। यदि किसी ने कोई ऐसा-वैसा काम कर भी दिया तो अखबारों से बड़ा डर लगता था। वे जानते थे कि अखबार में यदि एक बार वे गलत करार दे दिये गये तो समाज में उन पर कोई विश्वास नहीं करेगा। आजकल तो लोग पैसे देकर झूठी खबरें छपवाते हैं। पैसे देकर सही खबरें रुकवा भी देते हैं। इसलिये अखबारों को आजकल सामान्यतः कोई भी गम्भीरता से नहीं लेता। इसके बावजूद जो थोड़ा-बहुत विश्वास अखबारों में बचा है उसके कारण ही लोग उसे मंगवाते हैं। अखबार से जो इश्तिहार निकलता है मैं प्रायः उस पर एक नजर डालकर फेंक देता हूँ। आज किन्तु एक इश्तिहार देखकर नजरें अटकी तो अटकी ही रह गईं। मैं यह इश्तिहार देखकर चौंक गया। कोई स्वामी आनन्द ऋषि इस इश्तिहार को जारी करने वाले थे। उन्होंने ऊपर ही ऊपर लिखा था खुल गई ! खुल गई ! खुल गई ! प्रिय भक्तजनो ! आपके नगर में ‘भगवान एण्ड भक्त कम्पनी प्रा. लि.’ खुल चुकी है। आप इसका लाभ उठा सकते हैं। इसे पढ़कर मेरा चौंकना स्वाभाविक था। पहले तो मैंने सोचा कि किसी ने पूजा-सामग्री, भगवान के विग्रह के वस्त्रादि की दुकान खोली होगी जिसे कम्पनी का नाम दे दिया है।
आजकल क्योंकि यह व्यापार भी ऑन-लाइन चलने लगा है तथा लोग अच्छी कमाई भी कर रहे हैं इसलिये यह नाम रखा है। आगे जब इश्तिहार पढ़ा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
प्रिय भक्तगण ! घोर कलियुग चल रहा है। ठग तथा चालाक लोग आपको आगामी जन्म और पापों का भय दिखलाकर ठगते रहते हैं। भोलेभाले लोग इन लोगों को समझ नहीं पाते इसलिये उनकी बातों में आ जाते हैं। वे ऐसे लोगों को अपना गुरु बनाकर अपना इहलोक और परलोक दोनों ही बिगाड़ लेते हैं। आपके साथ ठगी न हो इसलिये इस कम्पनी का निर्माण किया है। हमने सरकार से रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है। आप इसकी ‘ऑन लाइन’ जाँच कर सकते हैं। इससे यह लाभ होगा कि यदि आपके मन में परमात्मा के सम्बन्ध में कुछ जानने की उत्सुकता अथवा जिज्ञासा है तो आपके सभी प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया जायेगा। यह हमसे साक्षात्कार करके भी किया जा सकता है तथा ऑन लाइन भी। इश्तिहार के नीचे हमारी वैबसाइट का पता एवं ई-मेल लिखा है। आप कभी भी प्रश्न पूछ सकते हैं। आपको उत्तर अवश्य मिलेगा। यदि आपको इसमें कोई धोखा लगे तो आप हमारे दिये गये फोन नम्बर पर सीधे सम्पर्क कर वस्तुस्थिति का पता लगा सकते हैं। कुछ गलत लगने पर आप हमारी शिकायत सरकार या पुलिस से कर सकते हैं। यह इश्तिहार इसीलिये जारी किया गया है कि आप सावधान रहें। आजकल आध्यात्मिक क्षेत्र में नकली बाबाओं, स्वामियों, योगियों, दण्डी स्वामियों आदि का बड़ी तेजी से आगमन हो रहा है। एक आम भक्त के लिये असली और नकली बाबाओं में पहचान कर पाना बहुत ही दुष्कर है। वे भक्तों की श्रद्धा का लाभ उठाकर उनको खूब ठगते हैं। जब तक उनकी पोल खुलती है तब तक वे माल लेकर और कहीं पलायन कर जाते हैं। ऐसे में भक्त हाथ मलते रह जाते हैं। वे स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते हैं तथा उन्हें समाज में भी शर्मसार होना पड़ता है। उनके गुरु का नाम लेकर लोग जब उनका मजाक उड़ाते हैं तो वे बेचारे कट कर रह जाते हैं। अपने सीधेपन और दूसरों के शातिरपन का दण्ड उन्हें भुगतना पड़ता है। ऐसी स्थिति से अपने भक्तों को बचाने के लिये ही हमने इस कम्पनी का निर्माण किया है।
आप जिस धर्म अथवा सम्प्रदाय से हैं उसकी जानकारी देकर हमसे उसके विषय में भी पूछ सकते हैं। आप चाहें तो ऑडियो, वीडियो कैसेट, सीडी अथवा पुस्तकें भी मँगवा सकते हैं। इस पर आपको कमीशन भी दिया जायेगा। यदि कोई भक्त भागवत सप्ताह, रामचरित मानस या कोई अन्य कथा रखवाना चाहे तो सस्ते से सस्ते और महंगी दरों पर विद्वान भी हमारे यहाँ उपलब्ध हैं। व्रत कथाओं के कैसेट भी आपको मिलेंगे और ऐसे पंडित भी जो उन कथाओं की आधुनिक सन्दर्भ में व्याख्या कर उनका औचित्य प्रमाणित करते हुये उन नास्तिकों का मुँह बन्द कर सकते हैं जो रोज-रोज आपको अपने तर्कों से तंग करते रहते हैं। आपको केवल ऑर्डर करना है हम शामियाने और दरियों या कुर्सियों की आपके कथनानुसार व्यवस्था कर देंगे।
हमें आपको यह बतलाते हुए गर्व अनुभव हो रहा है कि हमारी कम्पनी अद्यतन सात बाबाओं को भी लांच कर चुकी है। इस समय वे देश-विदेश में कम्पनी के प्रचार के साथ-साथ भगवान के नाम का भी गुणगान कर रहे हैं। यह यक अभिनव प्रयोग था जिसमें हम सफल रहे इसलिये अगले सत्र में ‘बाबा तकनीक में डिग्री’ कार्यक्रम प्रारम्भ करने जा रहे हैं। यह तीन वर्षों का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इसमें रोजगार की गारंटी है। प्रशिक्षण के बाद अभ्यर्थी यदि चाहे तो हमारी कम्पनी में काम कर सकता है। वह यदि कम्पनी में नौकरी करना चाहे तो कर सकता है। अब जो हमारे पाँच बाबा विदेश और दो देश में कार्यरत है उनकी रिपोर्ट हमारे लिये बड़ी उत्साहजनक है। अगले सत्र से कक्षायें प्रारम्भ हो जायेंगी। प्रवेश से पूर्व धर्म से सम्बन्धित प्रवेश परीक्षा का प्रावधान रखा गया है। परीक्षा में जो योग्यता सूची में स्थान प्राप्त करेगा, वही प्रवेश का अधिकारी होगा। प्रवेश के इच्छुक अभ्यथियों को सूचित किया जाता है कि इसमें वे अभी से मूंछ दाढ़ी के साथ-साथ सिर पर जटायें भी रखना प्रारम्भ करदे। ‘ड्रेस कोड’ कम्पनी जारी करेगी। कम्पनी द्वारा निर्मित वस्त्र ही अभ्यर्थियों को धारण करने होंगे। जो इस नियम को भंग करेगा उसका प्रवेश रद्द कर दिया जायेगा।
घर्म प्रेमी जनता की आस्था का ध्यान रखते हुये हम रात्रि जागरण, कीर्तन आदि के लिये भी अपनी भजन मण्डली दूर-दराज क्षेत्रों में भेजते रहते हैं। ये गायक-गायिकायें नृत्य, गायन एवं अभिनय में कुशल होते हैं। आप जिस तरह के भजन चाहते हैं यानी शास्त्रीय गायन, फिल्मी तर्ज वाले अथवा लोक गीत शैली के, सभी प्रकार के कलाकार हम आपकी सेवा हेतु प्रस्तुत कर सकते हैं। आप अपना बजट बता दीजिये हम आपके पास कलाकार पहुँचा देंगे। आप यदि हमें एक बार सेवा का अवसर देंगे तो उनकी प्रस्तुतियाँ देखकर लोग वाह-वाह कर उठेंगे। आपके आयोजन की सफलता की गारंटी हम लेते हैं। आप जिस देवी-देवता का रात्रि जागरण करवाना चाहते हैं उसके दरबार निर्माण की व्यवस्था भी हम करते हैं। भक्तगणों को ऐसी अनुभूति होगी कि वे वास्तव में उनके दरबार में ही बैठे हैं। इसके लिये ध्वनि एवं प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से हम वास्तविक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। हमने देखा है कि शहरों में लोगों ने छोटी-छोटी भजन मंडलियाँ बना रखी हैं। ये लोग जनता की रुचि को विकृत ही करते हैं जबकि हम भक्ति और कला के संगम से लोगों को अलौकिक आनन्द में अवगाहन करवाते हैं।
हमारे परिसर में आपका स्वागत है। यहाँ कैसेटों के माध्यम से अहर्निश अखण्ड कीर्तन चलता रहता है। यहाँ आकर आप भक्ति रस में सराबोर हो जायेंगे। यहाँ भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर का निर्माण हो चुका है। भगवान श्रीकृष्ण और राधिका के दर्शन हेतु आप अवश्य पधारें। आपका जीवन सफल हो जायेगा। जीवन में निरन्तर भागदौड़ के कारण जो अशान्ति आ गई है यहाँ आकर आप शान्ति का अनुभव करेंगे। आपकी जानकारी के लिये बता दें कि यहाँ आने पर किसी को भी निराशा नहीं होगी। अभी आने वाली एकादशी से हमारे ही एक भक्त दूसरे भक्तों की सुविधा के लिये यहाँ एक बहुत बड़े मॉल का उद्घाटन करवाने जा रहे हैं। सभी प्रबन्ध हो चुके हैं। उद्घाटन के बाद बिक्री शुरु हो जायेगी। आप भगवद् दर्शन के साथ-साथ अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं का सामान भी यहाँ से खरीद सकते हैं। यहाँ पर सामान की शुद्धता और भावों की दृष्टि से ग्राहकों को पूर्ण रूप से आश्वस्त किया जायेगा। किसी को भी शिकायत का अवसर नहीं दिया जायेगा। अपने भक्तों की सेवार्थ यहाँ एक भोजनालय का प्रारम्भ भी इसी दिन से किया जायेगा जिस में लहसुन-प्याज से रहित शुद्ध एवं सत्विक भोजन की व्यवस्था सस्ते दामों पर होगी। सबसे पहले भगवान का भोग लगाकर ही भोजन उपभोक्ताओं को दिया जायेगा। इस प्रकार यह भोजन नहीं बल्कि भगवान का प्रसाद होगा। जो भक्त यहाँ से लौटकर अपने घर जाकर खाना बनाकर खाने में कष्ट का अनुभव करते हैं उनके लिये यह व्यवस्था करना आवश्यक था। भविष्य में हमारा प्रयास टिफिन व्यवस्था का भी रहेगा जिससे जो भक्त यहाँ नहीं आ सकते वे भी प्रसाद प्राप्त कर सकें।
प्रिय भक्तगण ! पैसा हाथ का मैल है। लक्ष्मी तो वैसे भी चंचला है। आज आपके यहाँ है कल और कहीं होगी इसलिये लोभ का त्याग कर परमात्मा की शरण में आयें। हम आपका इसके लिये मार्ग दर्शन करेंगे। यह आप लोगों के लिये स्वर्णिम अवसर है। मौका मत चूकिये ! एक बार आप यहाँ आ गये तो बार-बार आने को मन करेगा। वैसे भी अन्ततः जीव को भगवान की शरण ही आना पड़ेगा। समय और होश-हवास रहते पधार कर इहलोक और परलोक दोनों को सफल बनायें।